अंगूठा छाप महिला ने खोल दिए 100 स्कूल
निरक्षर कमला आर्य
ने 2003 में
कबाड़ा बीनने
वाले 27 बच्चे
इकट्ठे कर
पानीपत में
सड़क किनारे
एक बंद
कारखाने में
स्कूल शुरू
करते समय
सोचा भी
नहीं था
कि एक
दशक के
भीतर इस
स्कूल की
शाखाओं की
संख्या 100 के अविश्वसनीय से आंकडे़
तक पहुंच
जाएगी।
पानीपत के राजनगर में कमला ने विधिवत ढंग से चेतना स्कूल की 100वीं शाखा का शुभारंभ किया। इस स्कूल में कामकाजी प्रौढ़ महिलाएं पढ़ना-लिखना सीखेंगी। चेतना स्कूल की शाखाएं सिर्फ हरियाणा में ही नहीं दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी हैं।
चेतना स्कूल देश की शिक्षा प्रणाली से बाहर पड़े अनपढ़ बच्चों और कामकाजी महिलाओं को जहां पढ़ना लिखना सिखा रहे हैं वहीं आर्थिक रूप से अति पिछड़े परिवार की बेटियों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाता हैं। यहां पर मौजूदा समय में कई हजार बच्चे और महिलाएं मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
कमला का कहना है कि उसे कचोट होती थी कि वो अंगूठा छाप रह गई। लेकिन जब उसने देखा कि कई बच्चे केवल पढ़ाई न होने के कारण सड़कों पर मारे मारे फिर रहे हैं तो उसने संकल्प लिया कि खुद नहीं पढ़ सकी लेकिन दूसरे बच्चों को जरूर पढ़ाएगी।
पानीपत के राजनगर में कमला ने विधिवत ढंग से चेतना स्कूल की 100वीं शाखा का शुभारंभ किया। इस स्कूल में कामकाजी प्रौढ़ महिलाएं पढ़ना-लिखना सीखेंगी। चेतना स्कूल की शाखाएं सिर्फ हरियाणा में ही नहीं दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी हैं।
चेतना स्कूल देश की शिक्षा प्रणाली से बाहर पड़े अनपढ़ बच्चों और कामकाजी महिलाओं को जहां पढ़ना लिखना सिखा रहे हैं वहीं आर्थिक रूप से अति पिछड़े परिवार की बेटियों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाता हैं। यहां पर मौजूदा समय में कई हजार बच्चे और महिलाएं मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
कमला का कहना है कि उसे कचोट होती थी कि वो अंगूठा छाप रह गई। लेकिन जब उसने देखा कि कई बच्चे केवल पढ़ाई न होने के कारण सड़कों पर मारे मारे फिर रहे हैं तो उसने संकल्प लिया कि खुद नहीं पढ़ सकी लेकिन दूसरे बच्चों को जरूर पढ़ाएगी।
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