PK सिर्फ 'पीके' ही पसंद आ सकती है...
तारीफ करनी होगी आमिर के efforts की... ऐसी मूवी बनाने की जिसमें बेइंतहां efforts हैं, आपको हँसाने के, रुलाने के.... लेकिन न आपको आमिर को बड़े कान देखकर ढंग से हँसी आती है न अनुष्का शर्मा के आँसू देखकर रोना...आपको समझ ही नहीं आता कि आपके साथ हो क्या रहा है? सिवाय इतना समझने की effort बहुत लगाया गया है.
आपको मूवी थोड़ी जानी पहचानी सी लगती है फिर याद आता है OMG अरे इसकी स्क्रिप्ट तो परेश रावल की Oh My God जैसी है, फिर आप सोचते हैं आमिर का किरदार तो Hollywood की कई मूवीज जैसा है, सिर्फ किरदार पूरी मूवी नहीं...फिर आप आमिर की पुरानी फिल्में याद करने लगते हैं... कौन सी ज्यादा चाट थी? तलाश या धूम..फिर याद करते हैं अपनी ऐसी ही पुरानी गलती जो आपने शायद कभी सलमान खान की Kick या शाहरुख की Chennai Express देखकर की थी...
... इसी बीच मूवी खत्म हो जाती है, और इन तमाम कन्फ्यूजन्स के बीच आपको ये movie ये विश्वास दिलाकर theatre से रवाना करती है कि यही ....बस यही है आपके जीवन की , अब तक की, इस 'कैटेगरी' की सबसे बड़ी ग़लती हैं.
तारीफ करनी होगी आमिर के efforts की... ऐसी मूवी बनाने की जिसमें बेइंतहां efforts हैं, आपको हँसाने के, रुलाने के.... लेकिन न आपको आमिर को बड़े कान देखकर ढंग से हँसी आती है न अनुष्का शर्मा के आँसू देखकर रोना...आपको समझ ही नहीं आता कि आपके साथ हो क्या रहा है? सिवाय इतना समझने की effort बहुत लगाया गया है.
आपको मूवी थोड़ी जानी पहचानी सी लगती है फिर याद आता है OMG अरे इसकी स्क्रिप्ट तो परेश रावल की Oh My God जैसी है, फिर आप सोचते हैं आमिर का किरदार तो Hollywood की कई मूवीज जैसा है, सिर्फ किरदार पूरी मूवी नहीं...फिर आप आमिर की पुरानी फिल्में याद करने लगते हैं... कौन सी ज्यादा चाट थी? तलाश या धूम..फिर याद करते हैं अपनी ऐसी ही पुरानी गलती जो आपने शायद कभी सलमान खान की Kick या शाहरुख की Chennai Express देखकर की थी...
... इसी बीच मूवी खत्म हो जाती है, और इन तमाम कन्फ्यूजन्स के बीच आपको ये movie ये विश्वास दिलाकर theatre से रवाना करती है कि यही ....बस यही है आपके जीवन की , अब तक की, इस 'कैटेगरी' की सबसे बड़ी ग़लती हैं.
No comments:
Post a Comment